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आजादी की लड़ाई के ऐतिहासिक सत्य से छेड़छाड़ कर रहा है संघ और भाजपा: गहलोत

  • महात्मा गांधी, नेहरू, सरदार पटेल जैसे महान नेताओं का योगदान कभी मिटाया नहीं जा सकता
  • RSS and BJP are tampering with the historical truths of India’s freedom struggle: Gehlot

नारद वार्ता संवाददाता

जयपुर: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर आजादी की लड़ाई और उसके ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करने का गंभीर आरोप लगाया है। गहलोत ने कहा कि यह दोनों संगठन सच्चाई को तोड़ने-मरोड़ने की मुहिम चला रहे हैं, लेकिन सत्य को कभी मिटाया नहीं जा सकता।

गहलोत ने अपने बयान में कहा, ‘महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, भगत सिंह और मौलाना आजाद जैसे स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। भाजपा और संघ चाहे जितने भी प्रयास करें, वे इन सच्चाइयों को बदल नहीं सकते।’

उन्होंने पाकिस्तान और बांग्लादेश के उदाहरण देते हुए कहा कि जब जिया उल हक ने पाकिस्तान में सत्ता संभाली, तो उन्होंने इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और 1971 के युद्ध में पाकिस्तान की विजयगाथा लिखवायी। ऐसा ही प्रयास बांग्लादेश में हो रहा है, जहां शेख मुजीबुर्रहमान का नाम हटाने का प्रयास किया जा रहा है। गहलोत ने कहा, ‘ ऐसे प्रयास किसी भी देश की साख को दुनिया के सामने गिरा देते हैं। भारत को इस तरह की साजिशों से बचना होगा।’ गहलोत ने इस अवसर पर महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों की महत्ता पर जोर देते हुए कहा कि ये मूल्य ही भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की नींव थे। उन्होंने कहा कि सत्य और धर्म की शक्ति को कभी पराजित नहीं किया जा सकता। इसके अलावा, गहलोत ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनशन का मुद्दा उठाते हुए सरकारों की असंवेदनशीलता की आलोचना की।

उन्होंने कहा, ‘डल्लेवाल जी 51 दिनों से अनशन कर रहे हैं, लेकिन केंद्र और पंजाब सरकार ने अब तक कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई। अब 111 अन्य किसान भी आमरण अनशन करने पर मजबूर हो गए हैं।’ गहलोत ने सरकारों से अपील की कि वे किसानों की मांगों पर तुरंत वार्ता कर समाधान निकालें। उन्होंने कहा, ‘किसानों की पीड़ा को नज़रअंदाज़ करना धर्म और मानवता के खिलाफ है। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम उनके हक के लिए आवाज उठाएं।’

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