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महाकुंभ से भावुक विदाई ले रहे श्रद्धालु, टेंट सिटी हो रही वीरान

  • Pilgrims Departing from Mahakumbh with Emotional Farewell
  • Narad Varta, नारद वार्ता

प्रीती पांडेय, महाकुंभनगर, प्रयागराज: 45 दिनों तक मंत्रोच्चार, भजन-प्रवचन और श्रद्धा के महासंगम का साक्षी बना महाकुंभनगर अब वीरानगी की ओर बढ़ रहा है। महाशिवरात्रि स्नान के साथ महाकुंभ का समापन हो गया, और अब टेंट उखड़ रहे हैं, श्रद्धालु अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं। ट्रैक्टरों पर सामान लादे जाते देख लोग भावुक हो रहे हैं, क्योंकि इस पावन स्थल ने उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा और अनूठे अनुभव प्रदान किए।

भावुक श्रद्धालु, यादों के साथ विदा

महाकुंभ में बैलों के संरक्षण शिविर में एक महीने से अधिक समय बिताने वाले राहुल शर्मा ने कहा, ‘वापस जाने का मन नहीं कर रहा। यहां हर दिन नई ऊर्जा का संचार हुआ। जमीन पर सोना, लकड़ी की आग पर भोजन पकाना—ये अनुभव महानगरों में दुर्लभ हैं।’

प्रयागराज की सलोनी निरंजन सेक्टर छह में स्विस कॉटेज में ठहरी थीं। उन्होंने दुखी मन से कहा, ‘मैंने यहां एक महीने का कल्पवास किया और अब अपने अस्थायी घर को उजड़ते देख दुख हो रहा है। महाशिवरात्रि तक यहां श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी थी, लेकिन अब धीरे-धीरे यह स्थान वीरान हो रहा है।’ उनके पति निरंजन लाल और पंडा शंभूनाथ शर्मा ने भी इस बदलाव पर भावुकता जताई। उन्होंने कहा, ‘चारों तरफ नजर घुमाइए, हर स्थान बदलता नजर आएगा। टेंट सिटी, अस्थायी मंदिर, स्वास्थ्य शिविर सब कुछ समाप्त हो रहा है। कुछ महीनों में यहां फिर से किसान खेती करते दिखाई देंगे।’

नेत्र कुंभ का समापन, दो लाख से अधिक मरीजों की जांच

महाकुंभ में प्रसिद्ध नेत्र कुंभ का भी समापन हो गया, जहां लाखों लोगों को निःशुल्क नेत्र चिकित्सा और चश्मे प्रदान किए गए। नेत्र कुंभ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रवीण रेड्डी ने बताया, ‘हमने 42 पंजीकरण काउंटर खोले थे, जहां 6 जनवरी से 27 फरवरी तक 40 डॉक्टरों की टीम ने दो लाख से अधिक मरीजों के नेत्र परीक्षण किए।’

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को नेत्र कुंभ पहुंचे और डॉक्टरों से संवाद कर उनका आभार व्यक्त किया।

महाकुंभ की विदाई, आस्था की अमिट छाप

45 दिनों तक चला महाकुंभ मेला 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं का गवाह बना। लाखों लोगों ने इसे अस्थायी घर बना लिया था, लेकिन अब यह आस्था नगरी शांति और सन्नाटे की ओर बढ़ रही है। अगले महाकुंभ तक श्रद्धालुओं की यादों में इसकी गूंज बनी रहेगी।

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