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डॉ. राममनोहर त्रिपाठी के आदर्शों पर चलना ही मेरा लक्ष्य: श्रीनारायण तिवारी

  • श्रीनारायण तिवारी को मिला डॉ. राममनोहर त्रिपाठी पत्रकारिता सम्मान

Narad Varta, नारद वार्ता संवाददाता, मुंबई: हिन्दी दैनिक यशोभूमि के कार्यकारी संपादक श्रीनारायण तिवारी को उनकी उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए डॉ. राममनोहर त्रिपाठी पत्रकारिता सम्मान से सम्मानित किया गया। यह सम्मान जोगेश्वरी पूर्व स्थित श्रीराम मंदिर आश्रम हॉल में आयोजित एक भव्य कार्यक्रम में युगप्रवर्तक संस्था द्वारा प्रदान किया गया। इस मौके पर श्री तिवारी ने कहा, ‘डॉ. राममनोहर त्रिपाठी के बताए आदर्शों पर चलना ही मेरा परम लक्ष्य है।’

स्वर्गीय डॉ. राममनोहर त्रिपाठी के सुपुत्र और वरिष्ठ पत्रकार अनुराग त्रिपाठी एवं साहित्यनुरागी पं. बंसीधर शर्मा ने श्रतिवारी को शॉल, पुष्पगुच्छ, और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी और पूर्व प्रधानाचार्य पं. वंसीधर शर्मा ने की।

सम्मान स्वीकार करते हुए श्री तिवारी ने कहा,’यह मेरे लिए गर्व और भावुकता का क्षण है। डॉ. त्रिपाठी मेरे लिए पिता तुल्य थे, और उनके नाम से जुड़ा यह सम्मान मेरे जीवन की बड़ी उपलब्धि है।’ उन्होंने पत्रकारिता को समृद्ध करने और इसे निष्कलंक बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। वरिष्ठ पत्रकार अनुराग त्रिपाठी ने कहा, “श्रीनारायण तिवारी ने हमेशा लीक से हटकर निष्पक्ष और ईमानदार पत्रकारिता की है। उन्होंने बिकाऊ मीडिया से खुद को अलग रखा और जीवनभर निष्कलंक पत्रकारिता की।”

पत्रकारिता में श्रीनारायण तिवारी का योगदान

श्रीनारायण तिवारी ने जनसत्ता, लोकमत समाचार, लोकमत टाइम्स, दबंग दुनिया, ‘एब्सलूट इंडिया और पूर्ण विराम जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में अपनी सेवाएं दी हैं। वर्तमान में, वे यशोभूमि के कार्यकारी संपादक हैं। उनके लेखन की तीखी धार और समाचार पत्रों के नए कलेवर के लिए उन्हें विशेष रूप से सराहा जाता है।

पुस्तक का हुआ विमोचन

कार्यक्रम में पं. दिनेश चंद्र मिश्र (बैसवारी) द्वारा लिखित पुस्तक ‘अटलविहारी वाजपेयी का विमोचन भी किया गया। इसके अलावा, रमेश बहादुर सिंह और ओ. पी. तिवारी को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का आरंभ शिवम बैसवारी ने सरस्वती वंदना से किया। युगप्रवर्तक संस्था के अध्यक्ष पं. दिनेशचंद्र मिश्र ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में पूर्व नगरसेवक सुरेंद्र दुबे, श्रीराम मंदिर के महंत मधुसूदन, और बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी, कवि, तथा समाजसेवी उपस्थित थे।

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