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महाकुंभ में संगम तट पर हजारों श्रद्धालु कर रहे कठिन तप, सूर्योदय से पहले संगम स्नान और एक समय भोजन

Narad Varta, नारद वार्ता संवाददाता, महाकुंभ नगर प्रयागराज: महाकुंभ में त्रिवेणी संगम पर हजारों श्रद्धालु आस्था और तप का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। कल्पवासियों के कठिन नियम और उनका धार्मिक अनुशासन इस महापर्व को और भी विशेष बना रहे हैं। यह पवित्र आयोजन पौष पूर्णिमा से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक चलेगा, जिसमें श्रद्धालु संगम तट पर रहकर एक समय भोजन, तप, ध्यान, और पूजन करते हैं।

सूर्योदय से पहले स्नान और कठिन नियमों का पालन

त्रिवेणी संगम के तट पर कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं के लिए सूर्योदय से पहले गंगा स्नान, एक समय भोजन, और पूरे दिन पूजा-पाठ करना अनिवार्य है। कल्पवासी उदयभान शर्मा बताते हैं, ‘सूर्योदय से पहले स्नान कर पूजा-पाठ करते हैं, फिर भोजन करके महात्माओं के सत्संग में शामिल होते हैं। यह बहुत कठिन तप है, लेकिन मन को शांति और आत्मा को सुकून देता है।’

कल्पवास का महत्व और तप का फल

पौराणिक मान्यता के अनुसार, कल्पवास करने से 100 वर्षों तक तप के बराबर फल प्राप्त होता है। श्रद्धालु संगम तट पर एक महीने तक नियमपूर्वक रहते हैं, गंगा स्नान करते हैं और भगवान का स्मरण करते हैं। कल्पवासी पुष्पा शर्मा ने बताया, “इस वर्ष मेरा 17वां कल्पवास है। यह कठिन जरूर है, लेकिन इससे मिलने वाला आध्यात्मिक आनंद और शांति अद्वितीय है। बुजुर्गों को दवा के कारण कभी-कभी दो समय भोजन देना पड़ता है, लेकिन नियमों का पालन पूरी सादगी से किया जाता है।

महाकुंभ में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

महाकुंभ सनातन संस्कृति और आस्था का सबसे बड़ा पर्व है। करोड़ों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर अपनी आस्था प्रकट कर रहे हैं। संगम तट पर रहने वाले कल्पवासी सफेद और पीले रंग के वस्त्र धारण कर वेद-पुराणों का अध्ययन करते हैं और सादगीपूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं।

धार्मिक और सामाजिक महत्व

महाकुंभ न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक दृष्टि से भी विशेष है। यह आयोजन देश-विदेश से लाखों लोगों को जोड़ता है। श्रद्धालु बताते हैं कि यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मा के शुद्धिकरण और आध्यात्मिक उत्थान का अवसर भी है।

सरकार की व्यवस्था और सुविधाएं

महाकुंभ नगर में यात्रियों और कल्पवासियों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। साफ-सफाई, पानी, बिजली, और आवास जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। कल्पवासियों का कहना है कि यह आयोजन एक बार जीवन में जरूर करना चाहिए, क्योंकि यह आत्मा को नई दिशा देता है।

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