‘भारतीय संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि एक जीवनदर्शन है।’
- हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान कार्यक्रम में स्वर्गीय श्रीकांत वर्मा को दी गई श्रद्धांजलि,
- संविधान की महत्ता पर हुई चर्चा
नारद वार्ता, नई दिल्ली। भारत के संविधान और राष्ट्रीय अस्मिता को समर्पित कार्यक्रम “हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान” का भव्य आयोजन नई दिल्ली में किया गया। इस कार्यक्रम के माध्यम से सुप्रसिद्ध साहित्यकार, कवि और विचारक स्वर्गीय श्रीकांत वर्मा को श्रद्धांजलि अर्पित की गई, जिनकी साहित्यिक रचनाएं भारतीय समाज की आत्मा और संवेदनाओं को अभिव्यक्त करती हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री राव नरबीर सिंह ने की। कार्यक्रम में शिवसेना के चीफ नेशनल को-ऑर्डिनेटर अभिषेक वर्मा, एनसीपी (यूथ विंग) के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरज शर्मा और ब्राह्मण ऑर्गनाइजेशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन सुखबीर शर्मा विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और राष्ट्रगान के साथ हुई। इसके बाद संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया गया। वक्ताओं ने संविधान की प्रस्तावना, अधिकार और कर्तव्यों की व्याख्या करते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया।
वक्ताओं ने कहा कि भारतीय संविधान केवल एक कानूनी दस्तावेज नहीं, बल्कि एक जीवनदर्शन है, जो समानता, स्वतंत्रता, बंधुत्व और न्याय के मूल्यों को प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाता है। उन्होंने संविधान की रक्षा और इसके आदर्शों को आत्मसात करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में स्वर्गीय श्रीकांत वर्मा के साहित्यिक योगदान पर विशेष चर्चा की गई। उनकी कविताओं और लेखों के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और स्वतंत्रता की भावना को अभिव्यक्त करने वाले उनके विचारों को याद किया गया। कई वक्ताओं ने उनकी प्रसिद्ध कविताओं का पाठ भी किया, जिससे कार्यक्रम का वातावरण भावुक हो उठा। इस अवसर पर शिक्षाविदों, साहित्यकारों, छात्रों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। सभी ने एक स्वर में कहा कि संविधान के प्रति जागरूकता और साहित्यिक धरोहर को सहेजने के लिए ऐसे आयोजन जरूरी हैं।
राजनीति की पाठशाला के संस्थापक डॉ. अजय पांडेय ने घोषणा की कि “हमारा संविधान, हमारा स्वाभिमान” कार्यक्रम हर वर्ष आयोजित किया जाएगा, ताकि संविधान की महत्ता और साहित्य के योगदान को जन-जन तक पहुंचाया जा सके।
कार्यक्रम का समापन संविधान की रक्षा और राष्ट्र की एकता के प्रति समर्पण की शपथ के साथ किया गया।