शिवसेना (उबाठा) ने फडणवीस की भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई की सराहना, शिंदे पर साधा निशाना
- Shiv Sena (UBT) Praises CM Fadnavis for Strict Action Against Corruption
Narad Varta, नारद वार्ता संवाददाता, मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा मंत्रियों के सुझाए गए कुछ निजी सहायकों (पीए) के नामों को खारिज करने के फैसले की शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने सराहना की है। पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया कि फडणवीस भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कड़े कदम उठा रहे हैं और राज्य के शासन में अनुशासन लाने का प्रयास कर रहे हैं।
‘सामना’ ने दोबारा की फडणवीस की प्रशंसा
इस साल की शुरुआत में भी शिवसेना (उबाठा) ने अप्रत्याशित रूप से फडणवीस की प्रशंसा की थी, जब उन्होंने नक्सल प्रभावित गडचिरौली जिले का दौरा कर वहां इस्पात उद्योग को बढ़ावा देने की घोषणा की थी। अब, भ्रष्टाचार पर कार्रवाई को लेकर उनकी फिर से सराहना की जा रही है। संपादकीय में कहा गया, ‘फडणवीस ने राज्य प्रशासन में अनुशासन स्थापित करने की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं और उन्होंने भ्रष्टाचार के ‘नालों की सफाई’ शुरू कर दी है।’
शिंदे गुट पर निशाना
शिवसेना (उबाठा) ने इस फैसले के बहाने प्रतिद्वंद्वी शिवसेना (शिंदे गुट) पर भी हमला बोला है। संपादकीय के अनुसार, मुख्यमंत्री ने मंत्रियों को निजी सहायकों (पीए) और विशेष कार्याधिकारियों (ओएसडी) की नियुक्ति का अधिकार छीनकर बड़ा निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने सोमवार को ऐलान किया था कि मंत्रियों द्वारा भेजे गए 125 नामों में से 109 को मंजूरी दी गई है, लेकिन 16 नामों को खारिज कर दिया गया, क्योंकि ये या तो जांच के घेरे में हैं या ‘बिचौलियों’ के रूप में बदनाम हैं।
शिंदे गुट के मंत्रियों के नाम खारिज
शिवसेना (उबाठा) ने दावा किया कि इन 16 में से 12 नाम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के मंत्रियों द्वारा प्रस्तावित किए गए थे। संपादकीय में शिंदे पर तंज कसते हुए कहा गया कि उनकी पार्टी के लोग ही संदिग्ध व्यक्तियों को प्रशासन में लाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फडणवीस ने इसे रोक दिया।
फडणवीस और शिंदे के रिश्तों में तनाव?
हाल ही में यह चर्चा जोरों पर है कि फडणवीस और शिंदे के बीच संबंध पहले जैसे नहीं रहे। शिवसेना (उबाठा) ने इस मुद्दे पर संकेत देते हुए लिखा, ‘भ्रष्टाचार के मुद्दे पर फडणवीस ने जो सख्ती दिखाई है, वह उनके गठबंधन सहयोगियों के लिए खतरे की घंटी है।’ फडणवीस की इस कार्रवाई के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इसे सत्ता पक्ष में बढ़ते आंतरिक तनाव के रूप में देखा जा रहा है, खासकर मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रिश्तों को लेकर नई अटकलें लगाई जा रही हैं।