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कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार, विश्वविद्यालयों का नियंत्रण मुख्यमंत्री के पास होना चाहिए: स्टालिन

Narad Varta, नारद वार्ता संवाददाता, मुंबई/ तमिलनाडु:

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने मंगलवार को राज्य सरकार के शैक्षिक अधिकारों पर जोर देते हुए कहा कि विश्वविद्यालयों का प्रशासन राज्य सरकार के पूर्ण नियंत्रण में होना चाहिए। उन्होंने मांग की कि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार मुख्यमंत्री के पास होना चाहिए, जो जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होते हैं। स्टालिन ने केंद्र सरकार और राज्यपाल पर परोक्ष हमला करते हुए कहा कि राज्य के शैक्षिक अधिकारों को बहाल करने के लिए कानूनी और राजनीतिक लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने यह बयान कराईकुडी में तिरुमति लक्ष्मी वलार तमिल पुस्तकालय के उद्घाटन के दौरान दिया।

राज्यपाल और सरकार के बीच विवाद

तमिलनाडु में 20 विश्वविद्यालय हैं, जिनमें से कई में कुलपति पद खाली हैं। राज्यपाल, जो राज्य संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होते हैं और द्रमुक सरकार के बीच कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि क्या कुलाधिपति का पद केवल केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के लिए आरक्षित होना चाहिए।

तमिलनाडु उच्च शिक्षा में अग्रणी

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि तमिलनाडु उच्च शिक्षा में 49 प्रतिशत से अधिक सकल नामांकन अनुपात (GER) के साथ भारत में शीर्ष स्थान पर है, जो राष्ट्रीय औसत से दोगुना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विश्वविद्यालयों को आवश्यक बुनियादी ढांचा प्रदान करती है और उनका प्रशासन राज्य के नियंत्रण में होना चाहिए।

पुस्तकालय और ज्ञान का प्रसार

इस अवसर पर कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने अपनी मां के नाम पर 12 करोड़ रुपये की लागत से तमिल पुस्तकालय की स्थापना की। मुख्यमंत्री ने इस पहल की सराहना की और राज्य में अधिक पुस्तकालय और अध्ययन केंद्र स्थापित करने का आह्वान किया। उन्होंने पुस्तकालय को 1,000 किताबें जल्द उपलब्ध कराने का आश्वासन भी दिया। स्टालिन ने चिदंबरम को चलता-फिरता पुस्तकालय करार देते हुए उनकी विद्वता और ज्ञान की प्रशंसा की। चिदंबरम ने कहा कि उनकी मां ने बचपन से उन्हें तमिल और अंग्रेजी पुस्तकों के प्रति रुचि बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।

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