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रामभक्त चंद्रशेखर शुक्ल के निधन से उत्तर भारतीय समाज में शोक की लहर

Narad Varta, नारद वार्ता मुंबई: उत्तर भारतीय समाज के प्रतिष्ठित समाजसेवी और प्रखर रामभक्त चंद्रशेखर शुक्ल के निधन से शोक की लहर दौड़ गई है। वे धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए सदैव सक्रिय रहे और सामाजिक न्याय के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करते रहे।

शुक्ल रामकाज को लेकर हमेशा तत्पर रहते थे, जब विक्रोली में रामलीला आयोजन की अनुमति प्रशासन ने अस्वीकार कर दी थी। उन्होंने इसे अन्याय मानते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की और अंततः न्यायालय से अनुमति प्राप्त कर विजय हासिल की। उनकी इस पहल ने यह साबित कर दिया कि अडिग संकल्प और सच्ची श्रद्धा के सामने कोई भी बाधा टिक नहीं सकती। सिर्फ धार्मिक आयोजनों में ही नहीं, बल्कि वे समाजसेवा के विभिन्न क्षेत्रों में भी सक्रिय रहे। गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करना, समाज में समरसता बनाए रखना और संस्कृति को सहेजना उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य रहा। उनके निधन से समाज ने एक समर्पित समाजसेवी और एक सच्चे रामभक्त को खो दिया। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उत्तर भारतीय समाज के लोग उनके जाने को अपूरणीय क्षति मानते हुए श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।

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