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महाकुंभ पर सियासी घमासान: अखिलेश ने योगी पर साधा निशाना, कहा— ‘नकारात्मकता चरम पर हो तो मानसिकता शब्दों में प्रकट होती है’

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव के बीच महाकुंभ को लेकर जुबानी जंग तेज हो गई है। सपा प्रमुख ने बिना नाम लिए योगी आदित्यनाथ के बयान पर निशाना साधते हुए कहा कि जब नकारात्मकता चरम पर होती है, तो मानसिकता शब्दों में प्रकट होती है, भले ही देश, काल और स्थान की गरिमा का ख़्याल न रखा जाए।

अखिलेश का योगी पर पलटवार

अखिलेश यादव ने सोमवार रात अपने आधिकारिक ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर एक पोस्ट में लिखा, ‘… लेकिन महाकुंभ में जिन्होंने अपनों को तलाशा, उन्हें हमेशा के लिए खो गए अपने परिजन का नाम न तो मृतकों की सूची में मिला और न ही खोया-पाया के रजिस्टर में।’ उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोगों ने महाकुंभ में राजनीतिक अवसरवाद को तलाशा और उसे आत्म-प्रचार का माध्यम बना लिया, लेकिन उन्होंने अपनी नैतिकता, सत्यनिष्ठा और मानवीय संवेदनाओं को खो दिया।

अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा, ‘महाकुंभ में कई बार जाकर भी जिनका वैचारिक उद्धार नहीं हुआ, उनके पाप और पतन की सीमा भला कौन नाप सकता है।’

योगी ने विपक्ष पर किया पलटवार

दरअसल, सोमवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था, ‘कुंभ में जिसने जो तलाशा, उसे वही मिला। गिद्धों को केवल लाश मिली, सुअरों को गंदगी मिली, संवेदनशील लोगों को रिश्तों की खूबसूरत तस्वीर मिली, आस्था वालों को पुण्य मिला, सज्जनों को सज्जनता मिली, गरीबों को रोजगार मिला, अमीरों को धंधा मिला, श्रद्धालुओं को साफ-सुथरी व्यवस्था मिली, सद्भावना वाले लोगों को जाति रहित व्यवस्था मिली, भक्तों को भगवान मिले। मतलब सबने अपने-अपने स्वभाव और चरित्र के अनुसार चीजों को देखा है।’ योगी ने सपा पर निशाना साधते हुए कहा कि जिन लोगों ने अपने समय में कुंभ को अव्यवस्था और भ्रष्टाचार का शिकार बनाया था, वे अब इस पवित्र आयोजन पर अनर्गल टिप्पणी कर भारत की भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं।

महाकुंभ बना सियासी अखाड़ा

महाकुंभ, जिसे हिंदू आस्था का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है, अब सियासी विवाद का केंद्र बनता दिख रहा है। अखिलेश यादव ने कहा कि महाकुंभ जैसे पावन पर्व पर बोलते समय शब्दों का चयन इस आयोजन के मान और प्रतिष्ठा के अनुकूल होना चाहिए। उन्होंने योगी आदित्यनाथ के बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा, ‘अशोभनीय कथन बताते हैं कि नकारात्मकता चरम पर हो तो देश, काल, स्थान की गरिमा का ख़्याल न करते हुए मानसिकता शब्दों के रूप में प्रकट होती है।’ अखिलेश यादव ने अपने समर्थकों से अपील की कि वे ऐसे बयानों पर आक्रोश न व्यक्त करें, बल्कि सहानुभूति रखें और भगवान से प्रार्थना करें कि सभी को सन्मति दे।

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