- सावन की रिमझिम में संस्कार का संदेश
- मराठी गीतों में गूंजी संजोली की कजरी
- स्त्रीशक्ति को मिला सम्मान, संवेदना को नया आयाम
- अटल: एक दीपस्तंभ – स्मृति और प्रेरणा का मंच
- उत्तर भारतीय समाज की सांस्कृतिक धरोहर बना सावन महोत्सव
- महोत्सव में मुंबई भाजपा अध्यक्ष एवं प्रदेश के सांस्कृतिक कार्यमंत्री आशीष शेलार थे मुख्य अतिथि
प्रीती पांडेय, नारद वार्ता संवाददाता, मुंबई: रिमझिम बारिश के बीच अभियान संस्था का 11 दिवसीय कजरी महोत्सव न सिर्फ़ गीत-संगीत का पर्व बना, बल्कि समाज को संस्कार, संस्कृति, साहस और संवेदना का संदेश भी दे गया। बांद्रा पश्चिम के रंगशारदा सभागृह में हुए समापन समारोह को भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति को समर्पित किया गया।
संस्कार और संवेदना का संदेश
मुंबई भाजपा अध्यक्ष एवं प्रदेश के सांस्कृतिक कार्यमंत्री आशीष शेलार ने कहा, ‘अभियान का यह महोत्सव अटलजी के त्याग का संस्कार, गीतों के समन्वय की संस्कृति, स्त्री सम्मान की संवेदना और बच्चियों के साहस का अभिनंदन है। यही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नये भारत की परिकल्पना है।‘
मंत्री आशीष शेलार को त्रिशूल देकर सम्मानित करते आयोजक।
संजोली की आवाज़ में गूंजी मराठी कजरी
उत्तर प्रदेश से आई लोकप्रिय गायिका संजोली पांडेय ने मराठी गीत गाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया। हिंदी, अवधी और मराठी गीतों का संगम एक भारत, श्रेष्ठ भारत की संकल्पना का जीवंत उदाहरण बना। संजोली के कजरी गीत पिया मेहंदी लिया दा,कचौड़ी गली सून कयिल्या बलमु, कैसे खेले जयिबू सावन में कजरिया जैसे कजरी गीतों पर पूरा सभागृह झूम उठा।
संजोली पांडेय मराठी गीत गाते हुए, विविधता में एकता का अद्भुत दृश्य।
स्त्रीशक्ति को मिला सम्मान
समारोह में दो विशेष हस्तियों को स्त्रीशक्ति सम्मान प्रदान किया गया
- त्रिवेणी आचार्य (रेस्क्यू फाउंडेशन प्रमुख) – बदनाम गलियों से बच्चियों को निकालकर उनका पुनर्वास।
- साक्षी गुप्ता (मार्शल आर्ट अंतरराष्ट्रीय चैंपियन) – साहस और संघर्ष की मिसाल।
अटल: एक दीपस्तंभ ने किया भावविभोर
अटलजी की पुण्यतिथि पर विशेष प्रस्तुति “अटल: एक दीपस्तंभ” ने हर किसी को भाव-विभोर कर दिया।
इसके निर्देशक प्रमोद पवार और कलाकारों को मंत्री शेलार के हाथों सम्मानित किया गया।
मुंबई की साझा संस्कृति का यह महोत्सव
कार्यक्रम के संयोजक व भाजपा मुंबई उपाध्यक्ष अमरजीत मिश्र ने कहा,‘उत्तर भारतीय समाज की माताओं-बहनों को इस महोत्सव का बेसब्री से इंतजार रहता है। यह मुंबई की साझा संस्कृति और लोकगायन का उत्सव है।‘ कार्यक्रम में पद्मश्री अभिनेता मनोज जोशी, पूर्व कस्टम्स कमिश्नर के एस मिश्रा, महाराष्ट्र राज्य हिंदी अकादमी के निवर्तमान कार्याध्यक्ष डॉ. शीतलाप्रसाद दुबे, सामाजिक कार्यकर्ता आनंद सिंह सहित मौजूद अतिथियों ने महोत्सव को आधुनिक भारत की सांस्कृतिक पहचान बताया।