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महाकुंभ 2025: 45 करोड़ श्रद्धालुओं के स्वागत की तैयारी, आईसीसीसी बना भीड़ प्रबंधन में वरदान

  • त्रिवेणी संगम पर उमड़ा आस्था का सागर, पहली बार तकनीक और सेवा का अद्भुत संगम
  • Maha Kumbh Mela Snan 2025

नारद वार्ता संवाददाता, प्रयागराज:विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक आयोजन महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं की असीम आस्था और संगम पर स्नान की लहर देखते ही बनती है। छह दिनों में ही 7 करोड़ से अधिक श्रद्धालु, साधु-संत, और कल्पवासी त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर अपना जीवन धन्य कर चुके हैं। उत्तर प्रदेश सरकार का अनुमान है कि इस बार महाकुंभ में कुल 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालु अपनी श्रद्धा निवेदन करने आएंगे। इस विशाल आयोजन में जहां मानव सेवा, धर्म और संयम का अद्वितीय मेल देखने को मिल रहा है, वहीं इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिहाज से एक वरदान साबित हो रहा है। यह केंद्र श्रद्धालुओं की सुरक्षा, सुगम यातायात और अन्य प्रबंधन से जुड़े हर पहलू को नियंत्रित करने में अत्यंत कारगर सिद्ध हो रहा है।

तकनीक के सहारे आस्था का आयोजन

आईसीसीसी प्रभारी एसपी अमित कुमार ने बताया कि मेला क्षेत्र में 2750 अत्याधुनिक कैमरों की मदद से सुरक्षा, भीड़ प्रबंधन और आपदा नियंत्रण को सुगम बनाया गया है। ये कैमरे तीन प्रमुख पहलुओं पर काम करते हैं – सुरक्षा, प्रबंधन और अपराध रोकथाम। स्नान पर्वों के दौरान भीड़ के प्रवाह की निगरानी कर इसे सुनियोजित तरीके से नियंत्रित किया जा रहा है।

आस्था के सागर पर नजर

कुमार ने बताया, ‘हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित कैमरों के माध्यम से मेला क्षेत्र में भीड़ के दबाव, सुरक्षा खतरों और अग्निकांड जैसी घटनाओं पर नजर रख रहे हैं। हर पार्किंग क्षेत्र की निगरानी सुनिश्चित की गई है ताकि श्रद्धालुओं को स्नान के लिए कम से कम दूरी तय करनी पड़े। सात मुख्य मार्गों से जुड़ी पार्किंग व्यवस्थाएं सुगम यातायात को सुनिश्चित कर रही हैं।’

आध्यात्मिकता और प्रबंधन का संगम

महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, यह भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक शक्ति का अद्वितीय परिचायक है। त्रिवेणी संगम पर स्नान करने वाले श्रद्धालु इसे जीवन का सबसे पवित्र क्षण मानते हैं। आईसीसीसी की इस तकनीकी सहायता ने न केवल प्रशासन की क्षमताओं को बढ़ाया है, बल्कि धर्म और विज्ञान का अद्भुत समन्वय भी प्रस्तुत किया है।

महाकुंभ है आस्था और सेवा का संदेश

महाकुंभ का यह आयोजन भारत के सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और वसुधैव कुटुंबकम की भावना को सुदृढ़ करता है। श्रद्धालुओं के लिए यह अवसर न केवल पापमुक्ति का माध्यम है, बल्कि आत्मशुद्धि और परमात्मा से जुड़ने का अनोखा मार्ग भी है। उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन के समर्पित प्रयासों ने इस बार के महाकुंभ को हर दृष्टि से यादगार बना दिया है।

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