- श्री तुलसी हिंदी माध्यमिक विद्यालय बना डिजिटल लर्निंग का उदाहरण
- स्मार्ट क्लासरूम और स्वच्छता सुविधाओं के निरीक्षण के दौरान बच्चों से आत्मीय मुलाकात
Narad Varta, नारद वार्ता संवाददाता, मुंबई: परेल स्थित श्री तुलसी हिंदी माध्यमिक विद्यालय में शिक्षा में नवाचार (इनोवेशन)की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। शुक्रवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने विद्यालय का दौरा किया और वहां स्मार्ट क्लासरूम, स्टेम लैब और आधुनिक स्वच्छता सुविधाओं का निरीक्षण किया। ये सभी सुविधाएं युवा अनस्टॉपेबल एनजीओ की ओर से उपलब्ध कराई गई हैं। राज्यपाल ने कहा कि सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) के तहत सरकारी और अनुदानित स्कूलों के आधुनिकीकरण का कार्य सराहनीय है। उन्होंने कहा, ‘स्मार्ट क्लासरूम और डिजिटल बोर्ड जितने जरूरी हैं, उतने ही जरूरी स्मार्ट और संवेदनशील शिक्षक भी हैं। अगर शिक्षक बदलाव के लिए तैयार नहीं होंगे, तो आधुनिक सुविधाओं का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाएगा।’
बच्चों से मिले ‘राज्यपाल अंकल’
निरीक्षण के दौरान सिर्फ राज्यपाल बनकर नहीं आए थे, बल्कि उन्होंने अपने स्नेहिल व्यवहार से बच्चों का दिल जीत लिया। स्कूल के माहौल में प्रवेश करते ही राज्यपाल बच्चों की दुनिया में रम गए। वह न केवल स्मार्ट क्लासरूम और सुविधाओं को देख रहे थे, बल्कि बच्चों संवाद किया। इस अवसर पर स्कूल के अपना पूर्वांचल महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन कुमार पांडेय, युवा अनस्टॉपेबल एनजीओ के संस्थापक अमिताभ शाह, नुसरत पठान, लेखक अमीश त्रिपाठी, प्रिंसिपल अमित सिंह, संजीव तिवारी, अमित गुप्ता और कॉर्पोरेट जगत के कई प्रमुख दिग्गज उपस्थित थे।
उन्होंने निरीक्षण के दौरान बच्चों को अपने हाथों से चॉकलेट बांटनी शुरू कर दी। एक-एक कर जब उन्होंने बच्चों को चॉकलेट दी, तो वहां मौजूद हर किसी के चेहरे पर मुस्कान बिखर गई। बच्चे आश्चर्य से उन्हें देखने लगे। मीडिया से बातचीत करते हुए एक छात्रा ने कहा कि मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा था कि राज्यपाल अंकल अपने साथ में चॉकलेट लाए थे। बच्चों की आंखों में दिख रही चमक सिर्फ चॉकलेट की खुशी नहीं थी, बल्कि यह उस आत्मीयता और अपनापन की चमक थी, जो शायद ही कोई उच्च पद पर बैठा व्यक्ति इतने सहज रूप से दे पाता।
एक मुलाकात, जो बच्चों की यादों में हमेशा रहेगी
अपना पूर्वांचल महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नवीन कुमार पांडेय ने कहा कि शिक्षा के इस डिजिटल युग में जहां तकनीक आगे बढ़ रही है, वहीं एक राज्यपाल का इस तरह से बच्चों से मिलना, उनकी दुनिया में शामिल होना और उन्हें अपना बना लेना, यह दिखाता है कि नेतृत्व केवल योजनाओं से नहीं, बल्कि भावनाओं और जुड़ाव से भी होता है।
ऐसा लगा जैसे घर के दादाजी ने हमें प्यार से चॉकलेट दी
एक अन्य छात्रा ने खुशी से चॉकलेट लेकर राज्यपाल को धन्यवाद दिया। एक छात्र ने कहा, ‘उन्होंने इतनी आत्मीयता से चॉकलेट दी, जैसे हमारे घर के बड़े और दादाजी हमें आशीर्वाद देते हैं।’ प्रिंसिपल अमित सिंह ने कहा, ‘बच्चों ने सिर्फ एक राज्यपाल को नहीं देखा, उन्होंने एक मार्गदर्शक, एक शुभचिंतक और एक दयालु इंसान को देखा।’