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बाढ़ प्रभावित मराठवाड़ा के गांवों में अब ‘दवंडी’ नहीं, ड्रोन देंगे चेतावनी

संतोष दुबे, नारद वार्ता संवाददाता, मुंबई / छत्रपति संभाजीनगर : मराठवाड़ा के बाढ़ संभावित गांवों में अब ‘दवंडी’ यानी ढोल बजाकर चेतावनी देने की परंपरा आधुनिक तकनीक से बदलेगी। मानसून के दौरान आपात स्थितियों में समय रहते लोगों को सतर्क करने के लिए महाराष्ट्र पुलिस अब ड्रोन का सहारा लेने जा रही है। यह पहल खासतौर पर उन गांवों के लिए है जहां गोदावरी, पूर्णा और मंजारा जैसी नदियों में बाढ़ की आशंका रहती है और जहां तक पहुंचना बेहद कठिन होता है।

ड्रोन बनेंगे आपदा के समय ‘आकाशवाणी’

मराठवाड़ा क्षेत्र के आठ जिलों – छत्रपति संभाजीनगर, जालना, परभणी, हिंगोली, नांदेड़, बीड, लातूर और धाराशिव – की जिला आपदा प्रबंधन समितियों में पुलिस विभाग ने इस योजना को शामिल किया है। योजना के तहत ड्रोन को लाउडस्पीकर जैसी प्रणाली से लैस किया जाएगा ताकि वे आसमान से गांववासियों को चेतावनी संदेश सुना सकें।

नांदेड़ पुलिस अधीक्षक ने पेश किया प्रस्ताव

नांदेड़ के पुलिस अधीक्षक अविनाश कुमार ने बताया कि जिला योजना समिति को ड्रोन खरीदने का प्रस्ताव पहले ही भेजा जा चुका है। उन्होंनेकहा, ‘‘अगर मंजूरी मिलती है, तो इन्हें नदी किनारे बसे संवेदनशील इलाकों में तैनात किया जाएगा ताकि समय पर चेतावनी दी जा सके।”

पुरानी परंपरा से नई तकनीक की ओर

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब तक गांवों में बाढ़ जैसी आपदा की सूचना देने के लिए पुलिस को स्वयं वहां जाकर चेतावनी देनी होती थी या फिर स्थानीय लोग ढोल बजाकर ‘दवंडी’ निकालते थे। लेकिन बारिश और बाढ़ के समय यह काम जोखिम भरा और समय लेने वाला साबित होता है। ड्रोन इस समस्या का आधुनिक और प्रभावी समाधान बन सकते हैं।

हाईटेक ड्रोन से मिलेगा आकाशीय नियंत्रण

प्रस्तावित ड्रोन न केवल चेतावनी प्रसारित करेंगे बल्कि संकट की घड़ी में क्षेत्र की निगरानी और अन्य महत्वपूर्ण सूचनाएं भी पुलिस नियंत्रण कक्ष तक पहुंचाएंगे। इससे आपदा प्रबंधन की गति और गुणवत्ता दोनों में सुधार होगा।

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