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चर्चगेट स्टेशन पर सुविधाओं की पटरी से उतरी व्यवस्था, सबवे से लेकर शौचालय तक बदहाली का आलम

  • टॉयलेट की बदबू में गुम हो गई सुविधा और स्वच्छता की बात
  • At Churchgate Station, Basic Amenities Go Off Track, From Subways to Toilets, It’s a Scene of Neglect

संदीप दुबे, नारद वार्ता संवाददाता: मुंबई की धड़कन है चर्चगेट। पश्चिम रेलवे की नाक, देश की अर्थव्यवस्था का अघोषित प्रवेशद्वार, और हर दिन—आठ से दस लाख जिंदगियों का बोझ थामनेवाला स्टेशन। लेकिन आज यह स्टेशन कोई आधुनिक प्रतीक नहीं, बल्कि किसी पुराने, थके हुए, बेजान स्थापत्य की तरह अपने ही वजन से दबा हुआ खड़ा है।

यहां जिंदगी दौड़ती है, लेकिन सुविधा रेंगती है। यहां उम्मीदें चढ़ती हैं, लेकिन व्यवस्था झुक जाती है। दक्षिण छोर का सबवे, जो शहर के लिए धमनियों सा काम करता है, वहां अब यात्रियों के लिए जगह कम और हॉकर्स के सामानों के लिए जगह ज़्यादा है। भीड़ इतनी कि पैदल चलना खुद में एक परीक्षा है। मानो हर यात्री किसी अनदेखी प्रतियोगिता में भाग ले रहा हो।

बारिश आई है, जैसे हर साल आती है। परंतु इस साल भी सबवे की दीवारों से रिसता पानी वही पुराना वादा दोहरा रहा है,“हम सुधरेंगे नहीं।” उत्तर छोर की फिसलन अब केवल सतह की नहीं, व्यवस्था की भी हो चली है।

टॉयलेट, उस बुनियादी सुविधा का नाम है जिसे यहां हर यात्री भूल जाए, तो बेहतर। क्योंकि जो फ्री है, वह गंदगी का अड्डा है। और जो पे-एंड-यूज़ है, उसमें सुविधा नहीं, केवल शुल्क है। सफाई दिन में 6 बार में तीन घंटे की बंदी में कहीं खो जाती है और बदबू दिनभर साथ चलती है।

शशांक पटेल जैसे कुछ सजग यात्री पूछते हैं, ‘रेलवे आखिर किस ‘सुविधा’ का पैसा वसूलता है? और जवाब में सिर्फ चुप्पी मिलती है, जो किसी प्लेटफॉर्म की घिसी हुई सीटी सी लगती है, अनुत्तरित और खोखली।’

मरीन लाइंस पर अमृत भारत योजना की कुदाल

मरीन लाइंस पर अमृत भारत योजना की कुदाल चली है। दीवारें टूटी हैं, छतें अधूरी हैं, पर यात्रियों की उम्मीदें अब भी पूरी हैं। वे उम्मीद करते हैं कि शायद इस बार योजना आधे में नहीं रुकेगी।

स्वच्छ भारत अभियान पर एक मूक व्यंग्य

प्लेटफॉर्म नंबर 1 की सीढ़ियों के पास पड़े कचरे पर नज़र जाती है, जो स्वच्छ भारत अभियान पर एक मूक व्यंग्य बनकर बिखरा पड़ा है। जैसे यह कोई फटे हुए पोस्टर हो,जिसे न कोई पढ़ता है, न कोई चिपकाता है।

यात्रियों को मिलेगी बेहतर सुविधा, रेलवे का वादा

रेल प्रशासन की ओर से वादे हैं, योजनाएं हैं, और एक अधिकारी का वक्तव्य भी कि सीएसआर से शौचालय बनेंगे, रखरखाव सुधरेगा, डिजिटल टिकटिंग आएगी। पर क्या यात्री इंतजार कर पाएंगे उस स्वर्णिम भविष्य का, जब वर्तमान उनके कंधों पर इतना भारी है।

पश्चिम रेलवे का यात्री सुविधा उन्नयन मिशन तेज़ी से प्रगति पर है। पश्चिम रेलवे के दो अत्यंत महत्वपूर्ण स्टेशन चर्चगेट और मरीन लाइंस अब सुविधाओं के नए युग की ओर अग्रसर हैं। लाखों यात्रियों की रोज़ाना आवाजाही वाले इन स्टेशनों पर यात्री अनुभव को बेहतर बनाने के लिए पश्चिम रेलवे द्वारा अनेक प्रभावी पहल की जा रही हैं।चर्चगेट स्टेशन पर डिजिटल टिकटिंग, स्वच्छता, सौंदर्यीकरण और आधुनिक शौचालय सुविधाएं जैसी योजनाएं सक्रिय रूप से लागू की जा रही हैं। विशेष रूप से शौचालयों की सुविधा को बेहतर करने के लिए कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के अंतर्गत विशेष आवंटन किया जाएगा, जिससे सफाई और मेंटेनेंस की गुणवत्ता में बड़ा सुधार आएगा। यह योजना वर्तमान में प्रगति पर है और जल्द ही यात्रियों को इसका प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा।वहीं, मरीन लाइंस स्टेशन को अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत आधुनिक स्वरूप प्रदान किया जा रहा है। यह योजना अगले 50 वर्षों की यात्री आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। स्टेशनों पर सुविधाओं का समावेश न केवल यात्रा को सुगम बनाएगा, बल्कि यात्रियों के मन में भारतीय रेलवे के प्रति भरोसा और गर्व भी बढ़ाएगा।’ – विनीत अभिषेक, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पश्चिम रेलवे

स्रोत: नवभारत टाइम्स, मुंबई

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