महाकुंभ में पहुंचे पर्यावरण बाबा, साइकिल यात्रा से फैला रहे पर्यावरण संरक्षण का संदेश
- प्रयागराज के महाकुंभ में हिमाचल प्रदेश से पहुंचे पर्यावरण बाबा राम बाहुबली दास, श्रद्धालुओं को वृक्षारोपण और प्रकृति संरक्षण का दिला रहे संकल्प
नारद वार्ता संवाददाता, प्रयागराज: आस्था और आध्यात्मिकता के महाकुंभ में पर्यावरण संरक्षण की अलख जगाने पहुंचे हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण बाबा राम बाहुबली दास ने संगम नगरी में एक नई मिसाल पेश की है। वह साइकिल यात्रा करते हुए कुंभ मेले में पहुंचे हैं, जहां वह श्रद्धालुओं और साधुओं के बीच पर्यावरण संरक्षण का संदेश फैला रहे हैं।
साइकिल पर पर्यावरण का संदेश
पर्यावरण बाबा सफेद धोती धारण किए, साइकिल पर छोटे-छोटे पौधे लेकर मेला क्षेत्र में घूमते हैं। वह राहगीरों को पौधे उपहार स्वरूप भेंट करते हैं और उन्हें वृक्षारोपण का महत्व समझाते हैं। बाबा का उद्देश्य है कि श्रद्धालु और साधु पर्यावरण को संरक्षित करने का संकल्प लें और धरती माता के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें।
18 वर्षों से जारी साइकिल यात्रा
राम बाहुबली बाबा ने बताया कि यह उनकी 16वीं साइकिल यात्रा है, जिसे वह पिछले 18 वर्षों से कर रहे हैं। बाबा हर साल 4 से 6 महीने साइकिल यात्रा करते हैं, जिसमें वह न केवल वृक्षारोपण करते हैं, बल्कि गांव-गांव जाकर सफाई अभियान भी चलाते हैं। बाबा त्रिवेणी के पेड़—बरगद, पीपल और पाकड़—लगाने पर विशेष जोर देते हैं।
स्थानीय लोगों की सराहना
महाकुंभ में पहुंचे श्रद्धालु बाबा की इस पहल की खूब सराहना कर रहे हैं। प्रखर नामक श्रद्धालु ने कहा, ‘महाराज जी ने मुझे पौधा देकर इसे लगाने और संरक्षित करने का संदेश दिया। दिल्ली में प्रदूषण से जूझते हुए मैं समझता हूं कि यह पहल पूरे देश में फैलनी चाहिए। इससे वायु गुणवत्ता सुधरेगी और देश को स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण मिलेगा।’
प्रधानमंत्री की योजनाओं की प्रशंसा
बाबा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान और वृक्षारोपण प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए।
पर्यावरण संरक्षण का महत्त्वपूर्ण संदेश
राम बाहुबली बाबा का प्रयास न केवल महाकुंभ के श्रद्धालुओं के लिए एक अनूठा संदेश है, बल्कि प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग से जूझते विश्व के लिए भी एक प्रेरणा है। बाबा का मानना है कि आस्था और प्रकृति दोनों का संरक्षण एक साथ करना आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक स्वच्छ और सुंदर धरती मिल सके।
