“देश की एकता के लिए प्राण दूंगा, लेकिन समझौता नहीं करूंगा”
- मुंबई में दीप कमल फाउंडेशन द्वारा आयोजित 17वां बलिदान दिवस समारोह
- राष्ट्रभक्ति, सम्मान और संकल्प का बना साक्षी
प्रीती पांडेय, नारद वार्ता संवाददाता, मुंबई:
‘मैं अपने देश की एकता के लिए प्राण दूंगा, लेकिन समझौता नहीं करूंगा’, जब मंच पर कलाकार ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का यह संवाद बोला, तो सभागार कुछ क्षणों के लिए स्तब्ध हो गया और फिर गूंज उठा तालियों से। मुंबई के बांद्रा में आयोजित यह कार्यक्रम केवल एक सांस्कृतिक प्रस्तुति नहीं, बल्कि भारत की अखंडता के संकल्प की सजीव अभिव्यक्ति बन गया।
मुंबई बीजेपी के उपाध्यक्ष अमरजीत मिश्र की संस्था दीप कमल फाउंडेशन द्वारा आयोजित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी बलिदान दिवस के 17वें वार्षिक आयोजन ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि देश के लिए दिए गए बलिदान कभी विस्मृत नहीं होते।
इस समारोह में जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुनीलकुमार शर्मा को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी स्मृति सम्मान से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा,
“डॉ. मुखर्जी का बलिदान केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि भारत के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए था। आज धारा 370 और 35A हट चुकी है, जम्मू-कश्मीर मुख्यधारा में है, यह डॉ. मुखर्जी के सपनों की जीत है।”
कार्यक्रम का भावनात्मक चरम तब आया जब ऑपरेशन सिंदूर में शहीद वीर मुरली नाईक की वीरमाता ज्योतिबाई नाईक को मुख्य अतिथि महाराष्ट्र सरकार के सांस्कृतिक कार्य व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री आशीष शेलार के हाथों सम्मानित किया गया। मंच पर जब वीर माता को सम्मान मिला, तो पूरा सभागार तालियों की गूंज और भावुकता से भर गया।
महाराष्ट्र सरकार के सांस्कृतिक कार्य व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री आशीष शेलार ने कहा,
“मुंबई केवल व्यापार की ही नहीं, विचारों की भी राजधानी है। यहां जब राष्ट्रहित की बात होती है, तो बलिदान स्मरणीय बन जाते हैं।”
मुख्य आकर्षण रहा नाटक
एक भावनात्मक और सशक्त नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से डॉ. मुखर्जी के जीवन और संघर्ष को मंच पर जीवंत किया गया। अंतिम दृश्य में जब कलाकार ने कहा—
“मैं अपने देश की एकता के लिए प्राण दूंगा, लेकिन समझौता नहीं करूंगा”—
तो पूरे हॉल में देशभक्ति का ज्वार उमड़ पड़ा।
महत्वपूर्ण मांगें भी उठीं
अमरजीत मिश्र ने लाल चौक पर डॉ. मुखर्जी की प्रतिमा लगाने और श्रीनगर रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रेलवे स्टेशन’ रखने की मांग की। उन्होंने कहा,
“यह आयोजन केवल स्मरण नहीं, बल्कि प्रेरणा और राष्ट्र समर्पण की भावना को जगाने वाला है। शहीदों की माताओं का सम्मान कर हम राष्ट्र के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं।”
कार्यक्रम में पूर्व विधायक सुनील राणे, बीजेपी ज़िलाध्यक्ष शलाका सालवी, वीरेंद्र म्हात्रे, ज्ञानमूर्ति शर्मा सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
संवेदनशीलता और संकल्प से परिपूर्ण यह आयोजन न केवल इतिहास को जीवित करता है, बल्कि वर्तमान पीढ़ियों को यह सिखाता है कि जब बात भारत की एकता की हो, तब कोई समझौता स्वीकार्य नहीं।