बदलापुर कांड: हाईकोर्ट ने सत्र अदालत के आदेश को बताया ‘चौंकाने वाला’
- Bombay High Court Calls Sessions Court’s Order in Badlapur Encounter Case Shocking
Narad Varta, नारद वार्ता संवाददाता, मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी की कथित मुठभेड़ को लेकर सत्र अदालत के आदेश को ‘चौंकाने वाला’ करार दिया है। अदालत ने सवाल उठाया कि जब यह मामला पहले से ही उच्च न्यायालय के विचाराधीन है, तो सत्र अदालत ने पुलिसकर्मियों के आवेदन पर विचार कैसे किया? गुरुवार को न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह न्यायिक अनीति का प्रश्न है। पीठ ने कहा, ‘हम नहीं जानते कि क्या कहना है। यह चौंकाने वाला है। क्या राज्य सरकार ने सत्र अदालत को सूचित नहीं किया कि उच्च न्यायालय इस मामले की सुनवाई कर रहा है? क्या सरकार इस आदेश को चुनौती देने की योजना बना रही है? अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 मार्च 2025 को होगी, जिसमें उच्च न्यायालय इस पर आगे की कार्रवाई पर विचार करेगा।
क्या है मामला?
अगस्त 2024 में ठाणे जिले के बदलापुर स्थित एक निजी स्कूल में दो किंडरगार्टन छात्राओं के यौन उत्पीड़न के आरोप में अक्षय शिंदे नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया था। वह स्कूल में सहायक के रूप में काम करता था। 23 सितंबर 2024 को पुलिस ने दावा किया कि जब शिंदे को तलोजा जेल से ठाणे जिले के कल्याण ले जाया जा रहा था, तो उसने पुलिसकर्मी की बंदूक छीन ली और गोली चला दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उसे मार गिराया। हालांकि, मजिस्ट्रेट जांच में पाया गया कि पांच पुलिसकर्मियों की टीम आरोपी को नियंत्रित करने की स्थिति में थी और बल प्रयोग उचित नहीं था। इसके बावजूद, जब पुलिसकर्मियों ने इस जांच रिपोर्ट को चुनौती दी, तो ठाणे सत्र अदालत ने एक अंतरिम आदेश जारी कर मजिस्ट्रेट के निष्कर्षों पर रोक लगा दी।
उच्च न्यायालय की नाराजगी
इस मामले को लेकर आरोपी के पिता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि उनके बेटे को फर्जी मुठभेड़ में मारा गया। जब अदालत को सत्र अदालत के आदेश के बारे में जानकारी दी गई, तो पीठ ने इस पर नाराजगी जताई और कहा कि सत्र अदालत ने अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है। न्यायालय ने आगे कहा कि राज्य सरकार को यह स्पष्ट करना होगा कि क्या वह सत्र अदालत के आदेश को चुनौती देगी। इसके साथ ही, अदालत ने वरिष्ठ अधिवक्ता मंजुला राव को न्यायमित्र नियुक्त किया है। अदालत ने उनसे यह भी सुझाव देने को कहा कि क्या मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार को प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए?