जलवायु परिवर्तन का भारतीय कृषि पर व्यापक प्रभाव पड़ा है। बेमौसम बारिश, सूखा, और तापमान में असामान्य बदलाव ने किसानों को असमंजस में डाल दिया है। इसका सीधा असर फसल उत्पादन और कृषि उत्पादकता पर पड़ रहा है।
जलवायु परिवर्तन का किसानों पर असर
राजस्थान, गुजरात, पंजाब, और हरियाणा जैसे राज्य जलवायु परिवर्तन से अत्यधिक प्रभावित हैं। इन राज्यों में गर्मी बढ़ने और मानसून के पैटर्न में बदलाव के कारण फसलों की उत्पादकता में कमी आई है। कई जगहों पर किसान गेहूं, चावल और दालों की फसलों की बुवाई में परेशानी महसूस कर रहे हैं।
सरकार की पहल: फसल बीमा और आपदा राहत योजनाएं
इस समस्या का सामना करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) जैसी योजनाएं चला रही हैं। इन योजनाओं के तहत किसानों को फसल नुकसान की स्थिति में मुआवजा दिया जाता है, जिससे उनके आर्थिक नुकसान की भरपाई होती है।
फसल चक्र और कृषि तकनीकों में सुधार
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को फसल चक्र बदलने, नई और अधिक सहनशील फसलें अपनाने, और स्मार्ट खेती तकनीकों का उपयोग करने की सलाह दी है। उदाहरण के लिए, सूखे से निपटने के लिए गन्ने और कपास की जगह कम पानी की फसलें जैसे बाजरा और ज्वार उगाने की सिफारिश की जा रही है।
भविष्य की संभावनाएं
जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए किसानों को समय-समय पर नई तकनीकों और जानकारियों से अवगत कराने की जरूरत है। साथ ही, सरकार को जलवायु अनुकूल कृषि योजनाओं को और सुदृढ़ करना होगा।